Deutschland: Leben mit Behinderung aus der Sicht von Touristen

Deutschland: Leben mit Behinderung aus der Sicht von Touristen

Deutschland: Leben mit Behinderung aus der Sicht von Touristen

जर्मनी दुनिया के सबसे खूबसूरत देशों में से एक है। यहां हर साल काफी संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं। हालांकि, इन सबके बीच एक सवाल यह भी है कि क्या विकलांग पर्यटकों के लिए जर्मनी में घूमना संभव है?

 

जर्मनी में विकलांगता के साथ जीने वाले पर्यटकों के लिए यात्रा करना आसान नहीं है। व्हीलचेयर की मदद से चलने वाले बैर्नहार्ड एंड्रेस अपने अनुभव से यह बात जानते हैं। वह कहते हैं, "जब मैं छुट्टियों में कहीं घूमने की योजना बनाता हूं, तो मुझे अपनी जरूरत की सुविधाएं खोजने में काफी समय लगता है।

 

उन्होंने कहा, "अक्सर किसी होटल या गेस्ट हाउस की संरचना के बारे में जानकारी पाना कठिन होता है। कई लोग कहते हैं कि उनके होटल या घर पर उन्हें किसी तरह की कठिनाई नहीं होगी, लेकिन जब मैं वहां पहुंचता हूं, तो सारी बातें सच नहीं होती। कहीं व्हीलचेयर बाथरूम में फिट नहीं होती, तो कहीं सिर्फ सीढ़ियां होती हैं।

 


सुविधाओं को बेहतर बनाना चाहिए


एंड्रेस, विकलांग लोगों के लिए बनाए गए समूह जर्मन नेशनल एसोसिएशन ऑफ सेल्फ-हेल्प' की पर्यटन विशेषज्ञ टीम के सदस्य हैं। इसलिए, उन्हें जर्मनी के पर्यटन उद्योग से जुड़ी समस्याओं के बारे में जानकारी है। उन्होंने बताया की, "स्थिति बेहतर नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि सब अच्छा है।

 

सुविधाओं को बढ़ावा देने वाले सामाजिक संगठन वीडीके के एक्सेसिबिलिटी अफसर योनास फिशर भी एंड्रेस की बातों से सहमत हैं। वह कहते हैं, "हम पूरे जर्मनी में बेहतर पर्यटन के बुनियादी ढांचे से काफी दूर हैं।इस वजह से उन विकलांग लोगों को काफी ज्यादा समस्या होती है जो देश भर में यात्रा करना चाहते हैं।

 

फिशर कहते हैं, "हकीकत यह है कि ऐसे लोगों पर अधिक ध्यान दिया जाता है जिन्हें चलने-फिरने में समस्या होती है, क्योंकि उनके हिसाब से किसी जगह को विकसित करने में ज्यादा लागत नहीं आती है। वहीं, अन्य तरह की शारीरिक विकलताएं, जैसे नेत्रहीन या बधिर लोगों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने में ज्यादा खर्च होता है। कई संग्रहालय, मनोरंजन पार्क और अन्य जगहों पर दो तरह की इंद्रियों वाले सिद्धांत का पालन नहीं किया जाता है। दो तरह की इंद्रियों वाले सिद्धांत (देखने और सुनने) का पालन करने पर कोई भी जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचती है।

 

वीडीके का मानना है कि निजी और सार्वजनिक, दोनों तरह की जगहों को इस तरह विकसित करना चाहिए कि सभी लोगों को उसका लाभ मिले। अमेरिका में लंबे समय से यह मामला चल रहा है।

 


बड़ी चुनौती है छुट्टियों की योजना


विकलांग यात्रियों को छुट्टियों की योजना बनाते समय सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि उन्हें किसी जगह तक जाने और वहां मौजूद सुविधाओं के बारे में विश्वसनीय जानकारी आसानी से नहीं मिलती इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जर्मनी ने 2011 में सभी के लिए पर्यटन' वाली लेबलिंग प्रणाली शुरू की है। इसे जर्मनी के आर्थिक मामलों और ऊर्जा मंत्रालय की मदद से विकसित किया गया।

 

"सभी के लिए पर्यटन" डाटाबेस में शामिल किसी भी संगठन या संस्थान की पुष्टि स्वतंत्र जांचकर्ताओं ने की है। यह वेबसाइट अंग्रेजी में भी उपलब्ध है। इस पर पर्यटन से जुड़े ऑफर देखे जा सकते हैं, जिससे अलग-अलग तरह की सुविधाओं की जानकारी मिलती है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि इस सूची में शामिल सभी संगठनों या संस्थानों में हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, लेकिन इनके बारे में जो भी जानकारी दी गई है उसकी सही तरीके से पुष्टि की गई है।

 


और ज्यादा जानकारी की जरूरत


इस डाटाबेस में, जर्मनी में मौजूद सिर्फ 2,828 जगहों या कारोबारों के बारे में जानकारी दी गई है। जर्मन पर्यटन उद्योग के फेडरल एसोसिएशन के अनुमान के मुताबिक, जर्मनी में घूमने से जुड़ी जगहों की संख्या 2,00,000 से 2,50,000 के बीच है। हालांकि, इस वेबसाइट पर सभी जगहों की जानकारी न होने की एक वजह यह भी हो सकती है कि उनकी पुष्टि के लिए शुल्क देना पड़ता है और हर तीन साल में फिर से पुष्टि करानी होती है।

 

यही वजह है कि जर्मनी में विकलांग यात्रियों को कहीं घूमने जाने से पहले सभी तरह की सुविधाओं की जानकारी खुद से हासिल करनी होती है। हालांकि, कोलोन कैथेड्रल या नॉयश्वानश्टाइन कासल जैसी लोकप्रिय जगहों की ओर से जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। दोनों जगहें, अपनी-अपनी वेबसाइट पर सबसे अहम जानकारी उपलब्ध कराती हैं, लेकिन सभी के लिए पर्यटन' डाटाबेस की तरह विस्तार से नहीं।

 

जर्मन नेशनल टूरिस्ट बोर्ड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जर्मनी को एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के तौर पर प्रमोट करता है। साथ ही, यह बोर्ड सुविधाओं से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराने पर भी जोर देता है। उसका लक्ष्य जर्मनी को ऐसा पर्यटन केंद्र बनाना है जहां सभी तरह के लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से सुविधाएं मिल सके और वे आराम से जर्मनी घूम सकें। जर्मन होटल और रेस्त्रां एसोसिएशन (डीईएचओजीए) भी इस बात से सहमत है।

 

डीईएचओजीए की प्रबंध निदेशक सांड्रा वार्डन का कहना है, "सभी मेहमानों की जरूरत के हिसाब से ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध कराना होटल और रेस्तरां कारोबारियों के डीएनए का हिस्सा है। यह बात विकलांग मेहमानों के लिए भी लागू होती है।

 

वार्डन कहती हैं, "हाल के वर्षों में सुविधाओं की अहमियत बढ़ गई है। नई इमारतों का निर्माण करते समय इसका ध्यान रखा जा रहा है। हालांकि, लागत से जुड़ी वजहों से मौजूदा इमारतों में सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। उदाहरण के लिए, व्हीलचेयर वाले कमरों के लिए पारंपरिक कमरों की तुलना में काफी ज्यादा जगह की जरूरत होती है।

 


जर्मन रेलवे स्टेशनों पर सुधार की जरूरत


विकलांग यात्रियों को पता है कि वे जर्मन एयरपोर्ट पर किन सुविधाओं की मांग कर सकते हैं। यूरोपीय संघ के कानून के मुताबिक, चेक इन, बोर्डिंग और प्लेन से उतरते समय वे मुफ्त सहायता की मांग कर सकते हैं। यह उनका अधिकार है।

 

जर्मनी के अधिकांश प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर भी विकलांग यात्रियों को सहायता दी जाती है। हालांकि, वीडीके के मुताबिक, 2020 तक जर्मनी के 5,400 रेलवे स्टेशनों में से लगभग 22 फीसदी के प्लैटफॉर्म पर दिव्यांगों को जाने के लिए बुनियादी ढांचे को विकसित नहीं किया गया था।