जर्मनी से भारत (बिजनेस स्टोरी)!

जर्मनी से भारत (बिजनेस स्टोरी)!

जर्मनी से भारत  (बिजनेस स्टोरी)!

भारत की ही तरह जर्मनी भी एक पेशेवर (व्यापार को बढ़ावा देने वाला) राष्ट्र है। जर्मन व्यापार का 20% से अधिक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संपन्न होता है। यही कारण है कि जर्मनी और भारत विश्व के इस हिस्से में स्थिरता, समृद्धि और स्वतंत्रता को बनाए रखने तथा उसका समर्थन करने का उत्तरदायित्व साझा करते हैं।

2020 में  भारतीय मूल के लोगो की संख्या लगभग 177,000 थी, जिनमें से 139,000 की प्रवासन पृष्ठभूमि थी। संघीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार भारत के नागरिकों की संख्या जर्मनी में दक्षिण, दक्षिण पूर्व, पूर्व या मध्य एशिया से दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।

 

जर्मनी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक सबसे लोकप्रिय गंतव्य स्थान है और भारतीय छात्र भी इससे अछूते नहीं हैं। इसका एक मुख्य कारण यह है कि जर्मनी में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों छात्रों के लिए शिक्षा निःशुल्क है और शुल्क है तो भी बहुत कम है। इसका मतलब यह भी है कि भारतीय छात्र ट्यूशन फीस चुकाने की चिंता किए बिना आज जर्मनी में पढ़ाई करने के लिए जा रहे है। 

 

भारत को यहां से मशीनी उपकरण, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल और ऑप्टिकल उपकरण का निर्यात किया जाता है। 2021 में जर्मनी ने भारत को 14.9B (बिलियन)डॉलर का निर्यात किया। जर्मनी द्वारा भारत को निर्यात किए जाने वाले मुख्य उत्पाद विमान, हेलीकॉप्टर, अंतरिक्ष यान ($2.18बी), मोटर वाहन हैं, पुर्जे और सहायक उपकरण (8701 से 8705) ($421 मिलियन), और रबरवर्किंग मशीनरी ($342 मिलियन)

 

भारतऔर जर्मनी मजबूत सहयोगी माने जाते हैं। दोनों देश एक दूसरे के लिए आसान और जल्द व्यापार को सुविधाजनक बनाने में कोशिश करते हैं। सहयोगी देशों को निवेश के साथ-साथ सहयोग के रूप में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना है। 2006 में रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से जर्मनी और भारत के बीच रक्षा संबंध भी मजबूत हुए हैं। भारत अब दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जबकि जर्मनी यूरोप में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसलिए देशों को वैश्विक विकास के मुद्दों पर मिलकर काम करते है। भारतीय शिक्षण संस्थानों में जर्मन भाषा और संस्कृति सीखने को बढ़ावा दिया गया है।