जर्मनी में इस तरह चलती है ऑऊसबिल्डुंग की कक्षाएं

जर्मनी में इस तरह चलती है ऑऊसबिल्डुंग की कक्षाएं

जर्मनी में इस तरह चलती है ऑऊसबिल्डुंग की कक्षाएं

जयपुर। जर्मनी में वहां की सरकार की ओर से कर्मचारियों, तकनीकी कर्मचारियों और नर्सिंग कर्मियों की कमी पूरा करने के लिए ऑऊसबिल्डुंग प्रोग्राम का संचालन किया जा रहा है। देश के युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए यह वहां के प्रमुख कौशल विकास कार्यक्रमों में शामिल है। ऑऊसबिल्डुंग का अर्थ ही सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण का समन्वय है। इस प्रोग्राम में शामिल युवाओं को सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है। वहां की कक्षाओं में दोनों तरह के समन्वित प्रशिक्षण पर जोर दिया जाता है। इससे युवा अच्छी तरह से अपने कार्य के लिए तैयार होते है और उनका कौशल विकसित हो जाता है। यही कारण है कि यह दुनिया के प्रमुख कौशल विकास कार्यक्रमों में शामिल है। 

इन प्रोग्राम को सरकार वहां के निजी क्षेत्र के सहयोग से संचालित कर रही है। अधिकतर ऑऊसबिल्डुंग स्कूल प्राइवेट सेक्टर में है। वहां अनुशासन और नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है। जर्मनी में स्कूली शिक्षा पूरा होने के बाद सामान्यतया युवा माता पिता के साथ नही रहते। इसी कारण इसमे प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं को स्वयं ही अपना जीवन जीना होता है। वह आत्मनिर्भर होना सीख जाते है। अपना ईगो छोड़कर जीवन जीने से उनके व्यक्तित्व का विकास होता है। वहीं इस प्रोग्राम के कई हिस्सों में जर्मन नागरिकों की भूमिका/संख्या कम है। इसका बड़ा कारण कुछ सेक्टर में उनकी रूचि कम होना है। जैसे कि नर्सिंग में पर्सनल केयर शामिल होने के कारण जर्मनी के स्थानीय लोग इसे बहुत ही सामान्य और कुछ गंदा काम मानकर यह कार्य नहीं करना चाहते। इसके साथ ही वे सप्ताह के अंत में भी काम नहीं करना चाहते है। यहां कभी कभी वीकेंड में भी काम करना पड़ जाता है। नर्सिंग में ड्यूटी शिफ्ट और रोटेशन से आती रहती है। इसी तरह वहां के कई नागरिक मीट प्रोसेसिंग का कार्य नहीं करना चाहते है। इसके अलावा हॉस्पिटेलिटी में भी क्लीनिंग शामिल होने के कारण कई जर्मन नागरिक इसेे ज्वॉइन नहीं करते है।  

ऑऊसबिल्डुंग प्रोग्राम में प्रशिक्षण का समय अलग अलग है। इसमे जैसे कि नर्सिंग की कक्षाओं में लगभग कुल 5000 घंटे का प्रशिक्षण शामिल है। इनमे 2700 घंटे का व्यावहारिक और 2300 घंटे का सैद्धांतिक प्रशिक्षण है। इसमे भी थ्योरी पर अधिक जोर दिया जाता है। वह इस कारण है छात्रों की थ्योरी कक्षा एक स्थान पर ही होती है और प्रशिक्षण अलग अलग जगह पर होता है। इसलिए सरकार का मानना है कि थ्योरी का प्रशिक्षण छात्र पूरा प्राप्त करें। प्रेक्टिकल तो वह जहां काम कर रहा है वहां आगे भी उसका प्रशिक्षण ले लेगा लेकिन सैद्धांतिक प्रशिक्षण प्राप्त करना संभव नहीं है और यह महत्वपूर्ण भी है। 

इसके साथ ही प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे युवाओं पर आयकर नहीं बल्कि सोशल सिक्योरिटी टैक्स लगता है। इसमे जॉब इंश्योरेंस, प्रोविंशियल, वृद्धावस्था पेंशन इंश्योरेंस इत्यादि जुड़ा हुआ है। ताकि अगर किसी कारण से जॉब नहीं मिले या समय लगे तब तक उसका खर्चा चलता रहे और उसे किसी तरह की परेशानी नहीं हो। इसके अलावा उसकी बीमारी और बुढ़ापे में भी रहने का खर्च का इंतजाम भी इसी टैक्स से किया जाता है। 

जर्मनी में ऑऊसबिल्डुंग के लिए जाने वालों में अधिकतर भारतीय शामिल है। वहां भारतीय युवा बड़ी संख्या में प्रशिक्षण प्राप्त करने के साथ ही रोजगार पा रहे है। उदाहरण के लिए वहां की एक कक्षा में 22 विद्यार्थियों में से 16 भारतीय है और उनमे से भी 12 दक्षिण भारतीय और 4 उत्तर भारत से है।

इस लेख से आपको अंदाजा हुआ होगा कि Ausbildung प्रोग्राम में प्रशिक्षण कैसे होता है और भारतीयों के लिए कितने अवसर हैं।